भ्रष्टाचारी जेई की की करतूतों को छिपाकर लापरवाही के आरोप में किया सस्पेंड

परिसर से विद्युत मीटर हुआ गायब

प्राची उजाला गाजियाबाद पुरानी कहावत है कि घुटने हमेशा पेट की ओर ही मुड़ते हैं मतलब अपनों के क्रिया कलापों व करतूतों को अपने ही छुपाते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला विद्युत विभाग के अधिकारियों के बीच, जहां उच्च अधिकारियों ने एक अवर अभियंता की असली करतूतों को छिपाकर महज कार्य में लापरवाही का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया। मामला विद्युत नगरीय वितरण खंड चतुर्थ राजेन्द्र नगर में तैनात अवर अभियंता धनन्जय शर्मा से जुड़ा है।

जिसके काले कारनामों को पिछले अंक में प्राची उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जेई की करतूतों का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारियों ने जांच के नाम पर महज औपचारिकता दिखाई और उसे ऊर्जा विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित ओटीएस योजना में लापरवाही का आरोप लगाया गया। अधीक्षण अभियंता उमेश चन्द्र सोनकर ने विद्युत नगरीय वितरण खंड चतुर्थ सब स्टेशन कोयल एंक्लेव लाजपतनगर से पसौंडा सिकंदरपुर राजेन्द्र नगर प्रथम गरिमा गार्डन शालीमार सिटी पर तैनात जे ई धनंजय शर्मा राजस्व सम्बन्धी कार्यों में रुचि न लेने व अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन न करने के कारण विभाग को राजस्व हानि ही रही थी ओटीएस योजना में लापरवाही के चलते उन्हें सस्पेंड किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि अधीक्षण अभियंता ने धनन्जय शर्मा की असल करतूतों को छुपाकर किसी अन्य मामले में निलंबित कर दिया। जिससे साबित होता है कि जेई द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार में सम्बन्धित अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

असली मामला क्या है ?

डिवीजन 4 राजेन्द्र नगर बिजलीघर क्षेत्र स्थित गरिमा गार्डन निवासी आमिर खान ने प्लॉट खसरा संख्या 574 गरिमा गार्डन पर एक एल एम बी 11 चार्जिंग का 15 किलोवाट का कनेक्शन अप्लाई किया था जिसके बाद जेई के गुर्गे ने उपभोक्ता से इस मामले में जेई से मिलने को कहा कि 15 किलोवाट का कनेक्शन ऐसे ही ऑनलाइन नहीं होता है इसके लिए जेई से मिलना होगा मिलने का सीधा मतलब बिना सुविधा शुल्क के काम नहीं होगा। मगर उपभोक्ता ने योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस को ही सही समझा और जेई से बिना मिले कनेक्शन के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर दिया। जिसे देख जेई ने अपने तेवर दिखाते हुए उपभोक्ता का इस्टीमेट बना दिया कि अगर आपको कनेक्शन लेना है तो आपको विभाग में ट्रांसफर्मर से लेकर खम्बे तक के एस्टीमेट के पैसे जमा करने होंगे। बताते हैं जेई ने 2 लाख 27 हजार 298 रुपये का एस्टीमेट आमिर खान को बना कर भेज दिया और उसे ऑनलाइन अपलोड भी कर दिया गया यही नही एस्टीमेट में एक लाइन में ये भी लिखा गया कि यहां एक 4 किलोवाट का कनेक्शन पहले से ही लगा हुआ है जिसकी अकाउंट आई डी भी बाकायदा दर्शाई गई। जेई द्वारा एस्टीमेट अपलोड करते ही उपभोक्ता पर 2 लाख 27 हजार 298 का मैसज फोन पर आया, जिसे देखकर उपभोक्ता के होश उड़ गए कि 15 किलोवाट के कनेक्शन के इतने पैसे जमा कैसे होंगे। इसके बाद आमिर ने विद्युत कम यानि जेई के गुर्गे से सम्पर्क किया। बताते हैं कि गुर्गे के द्वारा जेई से बात हुई। फिर शुरू हुआ कमाई का खेल व विभाग को चूना लगाने का कारनामा।

सौदा तय होने पर 15 की जगह दिया 18 केवी का कनेक्शन

सूत्रों की माने तो जेई ने खुद के द्वारा अपलोड किए एस्टीमेट से बचने के लिए जिस 15 किलोवाट के कनेक्शन के लिये लाखो का बिल बनाया था उसी कनेक्शन को नाम और एड्रेस बदलकर 18 किलोवाट का कनेक्शन उसी परिसर पर दे दिया गया। लेकिन कहते हैं कि अपराधी कितना भी शांतिर हो कुछ न कुछ क्लू छोड़ ही जाता ऐसा ही कुछ हुआ इस मामले में जहाँ 15 किलोवाट पर जेई के द्वारा विभाग को इनकम बढ़ाने का काम किया गया वही आधे पैसे लेकर जेई ने अपनी तिजोड़ी भर ली जेई ने इसमें नाम और पता बदल दिए और सेम साइड पर कनेक्शन रिलीज कर दिया। जबकि जेई ये भूल गए कि उन्होंने ही एस्टीमेट में 4 किलोवाट की अकाउंट आई डी को लिख रखा है और जो कनेक्शन दिया है वो उसी नाम से है जो 4 किलोवाट का कनेक्शन का जिक्र जेई ने अपने एस्टीमेट में किया है जो मुमताज पुत्र सुक्का के नाम से है जो 574 गरिमा गार्डन पर लगा हुआ है। मगर जेई ने 18 किलोवाट का कनेक्शन भी मुमताज पुत्र सुक्का पता 590 गरिमा गार्डन के नाम से दे दिया। मामला उजागर होने पर अधीक्षण अभियंता ने जेई को महज लापरवाही का आरोप लगाते हुए सस्पेंड कर दिया।

जांच के नाम पर भी हो रहा है खेल

एस्टीमेट बनाने के बाद उसी परिसर पर कनेक्शन देने के मामले में मुख्य अभियंता ने एक जांच कमेटी का गठन किया। था जिसमे जांच अधिकारी मौके पर पहुंचे तो वहां से 4 किलोवाट का कमर्शल कनेक्शन जो मुमताज पिता का नाम सुक्का के नाम से परिसर में लगा हुआ था वो मीटर उस परिसर से गायब मिला यहाँ ये आश्चर्य की बात है कि मीटर परिसर से चोरी हो गया न तो उपभोक्ता ने ही मीटर को चोरी होने की शिकायत विभाग को दी और न ही जांच कमेटी ने उपभोक्ता के खिलाफ कोई कर्यवाही की जबकि पहले फोटो में मीटर साफ नजर आ रहा है कि एक सिंगल फेस का मीटर इस परिसर पर लगा हुआ है उसके बाद भी जांच कमेटी का मीटर चोरी होने के बाद भी उपभोक्ता को सहूलियत देना और मोटर चोरी होने पर कोई कर्यवाही न करना ये बात समझ नही आ रही है। जबकि हो सकता है कि उस मीटर में विभाग की कई हजार रोडिंग क्लेन्स कर रखी हो या ये भी हो सकता है कि मीटर टेम्पर्ड हो और भी बहुत चीज हो सकती है जिससे विभाग को राजस्व की हानि हो रही हो उसके बाद भी न जांच कमेटी ओर न ही उस बिजलीघर के अधिकारी इस मीटर चोरी के मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है ऐसे ही कई सवाल इस मामले में भरस्टाचार को जन्म दे रहे है।

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