बिजली चोरी के मुकदमों में 20 वर्ष बाद दोष मुक्त हुआ विद्युत् उपभोगता

अमर उजाला ब्यूरो, पीलीभीत। किसान मजदूर संगठन के मुखिया वीएम सिंह को कथित बिजली चोरी के बीस वर्ष पुराने दो मामलों में अदालत ने दोषमुक्त करार दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान वर्ष 2002 में उनके खिलाफ दिल्ली में बिजली चोरी के दो मामले दर्ज किए गए थे। दोनों में वह अब दोषमुक्त हुए हैं।

दोनों मुकदमों में दिल्ली पुलिस ने तीन साल के बाद ही चार्जशीट फाइल की थी। वीएम सिंह ने मार्च 2004 के पहले सप्ताह में पीलीभीत से लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया था। उसके बाद ही उन पर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसी मामले में 15 मार्च 2004 को कोर्ट द्वारा उनको 3,13,723 रुपया जमा कराने पर जमानत मंजूर की गई थी।

दिल्ली में दर्ज कराए गए थे बिजली चोरी के मामले

वीएम सिंह ने दोनों मुकदमों को चुनौती दी और उनसे वसूली गई रकम को गैर कानूनी मानते मुकदमे खारिज करने की मांग की। इसी बीच 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम आया जिसके तहत वीएम सिंह ने सूचना मांगी थी कि जहां बिजली विभाग ने छापा मारा और जिस जगह से वीएम सिंह ने बिजली चोरी की, उस जगह पर बिजली कब लगी थी और अगर नहीं लगी तो कब तक लगने की संभावना है। विभाग की तरफ से इसका उत्तर आया कि उस जगह बिजली कभी लगी ही नहीं और रोड पर बिजली के खंभे लगाने का प्रस्ताव नगर निगम में लंबित है। जल्द ही बिजली लगने की संभावना है। यह तथ्य सामने आने पर साफ हो गया कि बिजली चोरी का मामला फर्जी है।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के एडीजे ने वीएम सिंह से वसूली एवं छापे को गलत मानते हुए आदेश एवं डिक्री पारित की। इसमें स्पष्ट किया गया कि बिजली का छापा गलत था । इसलिए वसूली की रकम को खारिज कर दिया गया। इसी मामले में एफआईआर को भी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एवं सेसन जज ने 25 नवंबर 2021 को फर्जी और गलत मानते हुए खारिज कर दिया। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एवं सेसन जज ने 26 मई 2022 को दिल्ली विद्युत बोर्ड को आदेश दिया कि वीएम सिंह द्वारा जमा किए गए 3,13,723 रुपये को 6 फीसदी ब्याज सहित लौटाएं। इस आदेश के बाद वीएम सिंह दो और मामलों में 20 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद राहत मिली है।

इससे पहले 1994 में दर्ज कराए गए एक मामले में वीएम सिंह को पीलीभीत की एमपीएमएलए कोर्ट ने हाल में ही मारपीट और अनुसूचित जाति उत्पीड़न के मामले में दोषमुक्त करार दिया है।

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