बिजली कर्मियों के साथ मारपीट पर अब तीन साल की सजा

आरोपी को एक लाख रुपये तक देना पड़ सकता है जुर्माना

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ। ऊर्जा विभाग ने प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के दौरान कर्मचारियों से मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उसने इस संबंध में गृह विभाग को पत्र लिखकर उन विद्युत सेवा कर्मों और विद्युत सेवा संस्थान हिंसा और संपत्ति की क्षति निवारण अधिनियम 2018 का प्रस्ताव भेजा है। इसमें विद्युत कर्मियों से मारपीट करने वालों को तीन साल की सजा और एक लाख रुपये तक जमाने का प्रावधान है। इतना ही नहीं, आरोपी को क्षतिग्रस्त संपत्ति की दोगुनी कीमत वसूलने का भी नियम है। ख्य सचिव की अध्यक्षता में इस महीने होने वाली बैठक में इस मसौदे पर विचार किया जाएगा |

पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने गृह विभाग को लिखे पत्र में बताया कि बिजली चोरी की रोकथाम के दौरान हिंसात्मक विरोध को रोकने के लिए इस कानून का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत विद्युत सेवा संस्था में नियोजित एवं कार्यरत कार्मिकों (जैसे अभियंता, अवर अभियंता लाइनमैन, टेक्नीशियन, हेल्पर आदि) के विरुद्ध हिंसात्मक कार्रवाई करना और विद्युत सेवा संस्था की संपत्ति को क्षति पहुंचाया जाना संज्ञेय और गैरजमानती अपराध होगा।

ऊर्जा विभाग ने गृह विभाग को भेजा सख्त कानून का मसौदा

ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक 1 से 17 जून तक कुल 505 सामूहिक छापामारी की गई। इसमें 55,948 उपभोक्ताओं की जांच कर 16,534 गड़बड़ियां पकड़ी गई। जबकि एक अप्रैल 2018 में अभी तक 36,678 उपभोक्ताओं के यहां अनियमितता पाई गई है। इनमें से 29,077 विद्युत चोरी के मामले हैं। अभी तक 17,064 उपभोक्ताओं के विरुद्ध रुपये 100 करोड़ का दंड शुल्क का निर्धारण किया जा चुका है। यह कार्रवाई पूरी होने पर दंड शुल्क 200 करोड़ तक पहुंच सकता है।

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