मुजफ्फरनगर। उप्र में बिजली व्यवस्था निजी हाथों में देने का फैसला निंदनीय है। भाकियू इसका पुरजोर विरोध करती है। भाकियू ने अपने शुरूआती दौर में करमूखेडी बिजली आन्दोलन से सरकार की गलत नीतियों के विरूद्ध लड़ाई शुरू की थी। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मंगलवार को बयान जारी कर ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि संगठन लगातार बिजली के मुद्दों पर समय-समय पर आन्दोलनरत रहा है। वर्ष 2001 में कानपुर में बिजली के निजीकरण की पहली कोशिश की गई, जो नाकाम रही। इन सबके बीच वर्ष 2010 में आगरा की बिजली टोरंट पॉवर कंपनी को दे दी गई जिसका दंश आज भी वहां किसान झेल रहा है। किसान बिल भी जमा नहीं कर पा रहा है। लाखों रुपये निजी नलकूपों के किसानों पर बकाया चल रहे हैं।
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