रोहित मिश्र, लखनऊ। प्रदेश में अपने घरों में सोलर पैनल लगाने वाले हजारों उपभोक्ताओं के बिजली बिल में पावर कारपोरेशन ने बड़ा घोटाला किया है। मार्च में उनके खाते में दिखाई जा रही सोलर यूनिटें जो उनके खुद के सोलर पैनल से पैदा हुई थीं, उसमें घपला कर दिया गया । ये यूनिटें नियमतः समायोजित करते उपभोक्ताओं का बिल कम किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया । नतीजतन, उपभोक्ताओं की लाखों यूनिट बिजली लापता हो गई और उन्हें ज्यादा बिल देना पड़ा। प्रदेश में तकरीबन 50 हजार उपभोक्ताओं से फर्जीवाड़ा हुआ है। ये दो उपभोक्ता पावर कॉरपोरेशन के घोटाले की बानगी भर है। उदाहरण के तौर पर रूफटाप सोलर इस्तेमाल करने वाले लखनऊ के विवेक खंड निवासी रूप कुमार शर्मा के मार्च के खाते में 35 सोलर यूनिट शेष थीं । उनके अप्रैल में बिल में इन सोलर यूनिटों का हिसाब- किताब नहीं मिल रहा है। अप्रैल का जब बिल आया तो ये सोलर यूनिट शून्य हो गई।
सोलर पर क्या है नियम
नियम है कि एक अप्रैल से 31 मार्च तक सोलर यूनिट उपभोक्ताओं के खाते में जुड़ती रहती हैं। 31 मार्च को खाते की यूनिट का हिसाब पावर कॉरपोरेशन कर देता है। यह रकम अगले साल अप्रैल में आने वाले बिल में समायोजित कर दी जाती है। हालांकि, उपभोक्ताओं के साथ ऐसा नहीं हुआ। मार्च तक बची हुई सोलर यूनिट तो अप्रैल के बिल में शून्य दिखा रही है, लेकिन उसका हिसाब-किताब अप्रैल के बिल में नहीं हुआ है।
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