स्वतंत्र भारत ब्यूरो, लखनऊ। पावर कॉरपोरेशन जिस तरह प्रस्ताव तैयार कराकर एनर्जी टास्क फोर्स में अनुमोदित करा लेता है। जब दांव उल्टा पड़ जाता है, तो फिर नए ट्रांजैक्शन एडवाइजर की खोज में लग जाता है। निजीकरण बच्चों का खेल नहीं। यह बिजली विभाग है। ऐसे निजीकरण नहीं होता। यहां कानून और वित्तीय पैरामीटर पर होता काम।दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल के तहत इसका निजीकरण किए जाने के लिए पावर कॉरपोरेशन ट्रांजैक्शन एडवाइजर रखने कि जिस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने जा रहा है । वह पूरी तरह गलत है। एक तरफ दक्षिणांचल पूर्वांचल सहित सभी बिजली कंपनियों की तरफ से वार्षिक राजस्व आवश्यकता एआरआर वर्ष 2025 -26 का विद्युत नियामक आयोग में दाखिल हो चुका है।
इससे यह पूरी तरह सिद्ध होता है कि इस वित्तीय वर्ष के लिए सभी बिजली कंपनियां अपना व्यवसाय करेंगे। किसी भी बिजली कंपनी ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19 ( 3 ) के तहत रेवोकेशन ऑफ लाइसेंस विद्युत नियामक आयोग में नहीं दाखिल किया है। इसका मतलब सभी बिजली कंपनियां जिनको विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत लाइसेंस दिया है। वह अपना काम वर्ष 2025-26 के वित्तीय वर्ष में सफलतापूर्वक कार्य करेंगी। दूसरी तरफ पावर कॉरपोरेशन ट्रांजैक्शन एडवाइजर नियुक्त करने की प्रक्रिया में क्यों लगा है यह पूरी तरह गलत होगा। पावर कॉरपोरेशन भारी भरकम टर्नओवर के आधार पर जिन कंसल्टेंट यानि ट्रांजैक्शन एडवाइजर की खोज कर रहा है। उसे शायद पता नहीं है कि जो देश के बड़े निजी घराने उत्तर प्रदेश के वितरण क्षेत्र को लेना चाहते हैं। वह सभी निजी घराने कहीं न कहीं भारी भरकम टर्नओवर वाले कंसल्टेंट के साथ पहले से ही किसी न किसी प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। जब कंप्लीट आप इंटरेस्ट का मामला आएगा तब क्या होगा ।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि इसके पहले भी पावर कारपोरेशन ने एक कंसलटेंट रखकर उसके आधार पर एनर्जी टास्क फोर्स में प्रस्ताव दाखिल किया था और मामला राज्य की कैबिनेट को रखा जाना था । ऐसा क्या हो गया कि उसे एनर्जी टास्क फोर्स में लिए गए निर्णय से इतर अब पुनः नए सिरे से कार्यवाही करने के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर की खोज हो रही है। सब मिलकर यह कहना पूरी तरह उचित होगा कि उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों को निजीकरण करने के लिए जिस प्रक्रिया का प्रयोग किया जा रहा है। उससे प्रदेश की जनता उपभोक्ता किसान, नौजवान, बेरोजगार कार्मिक किसी का भला नहीं होने वाला है। लेकिन देश और प्रदेश के बडे उद्योगपतियों का बड़ा लाभ होना तय है। क्योंकि वर्तमान में पूरे देश के कुछ चुनिंदा उद्योगपति उत्तर प्रदेश के वितरण क्षेत्र को लेने के लिए पूरी तरह जुगत में लगे हैं।
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