केन्द्रीय ऊर्जामंत्री के लखनऊ आते ही निजीकरण की हुई थी शुरुआत

लखनऊ (एसएनबी)। दक्षिणांचल व पूर्वाचल डिस्कामो के निजीकरण को लेकर जहां पूरे प्रदेश में अभियंता व कार्मिक संवैधानिक तरीके से अपने आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं वही प्रदेश के 3 करोड़ 45 लाख विजलीउपभोक्ताओं के मन मे यह जिज्ञासा उत्पन्न हो रही है कि इससे विद्युत उपभोक्ताओं का क्या लाभ होने वाला है। जिस तरह से प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण किया जा रहा है वह संवैधानिक परिपाटी के तहत नहीं किया जा रहा है। जो पूरी तरह गलत है। सबसे पहले केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर जव पहली वार लखनऊ में आए थे उसी के वाद निजीकरण की प्रक्रिया चालू हो गयी थी और अव जव दूसरी बार दो दिन से कुंभ मेला में भ्रमण कर रहे है तो उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि सवसे पहले वह प्रदेश मे निजीकरण पर अपनी राय को सार्वजनिक करें। वह यह भी बताएं कैसे विद्युत उपभोक्ताओं का हित संरक्षित रहेगा।

राज्य विद्यत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार व केद्रीय ऊर्जामंत्री समेत प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि निजीकरण उपभोक्ताओं व कार्मिकों व प्रदेश के हित में है अथवा हित में नहीं हौ इस पर एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन कराया जाना चाहिए और सार्वजनिक तौर पर उपभोक्ता परिषद आंकड़ों के आधार पर यह सिद्ध करने को तैयार है कि इससे केवल उद्योगपतियों का ही फायदा होने वाला है । एक अध्ययन के आधार पर पूरी तरीके से संकल्पित है कि निजीकरण से केवल आने वाले समय में देश के उद्योगपति जिनको विजली कंपनियों का दायित्व मिलेगा वही मालामाल होंगे। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि जिस प्रकार से विद्युत नियामक आयोग द्वारा मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया है। उसे मानक पर यदि आज वर्तमान में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता 202526 का आंकलन कर लिया जाए तो प्रदेश की विजली कंपनियों का विद्यत उपभोक्ताओं पर लगभग तीन से चार हजार करोड़ सर प्लस निकल आएगा। यदि पुरानी टैरिफ रेगुलेशन जो 2019 से 2024 के बीच में जो लागू था। उसके आधार पर मानक पर आंकलन किया जाए तो लगभग चार हजार करोड़ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सर प्लस निकालेगा।

इस प्रकार से जो प्रस्तावित व्यवस्था में उपभोक्ताओं के साथ छल करने की कोशिश की गयी है उसे उपभोक्ता परिषद कामयाव नहीं होने देगा। इसके लिए प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को जवाव देना चाहिए कि क्या केवल मानक उपभोक्ताओं की विजली दर में बढ़ोतरी करने के लिए वनवाया गया है । क्या उनकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं वनती कि वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ न्याय कराए।

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