नाकाम योजनाओं के कारण हारे केन्द्रीय ऊर्जामंत्री

नई सरकार बनते ही सभी योजनाओं की समीक्षा की होगी मांग

रीडर्स मैसेंजर नेटवर्क, लखनऊ। वर्तमान में केंद्र सरकार ऊर्जा मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही 13632 करोड की आरडीएसएस योजना, 29619 करोड की स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना, विदेशी कोयला खरीद या फिर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा सबसे ज्यादा अनेकों विषयों पर जारी किए जाने वाले रूल संबंधी मामले उपभोक्ताओं के लिए अलाभकारी सिद्ध हुए । केन्द्रीय मंत्री की अधिकाधिक नाकाम योजनाओं के कारण उन्हें बिहार में हार का सामना करना पड़ा। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषदकेंद्र में नई सरकार बनते ही इन योजनाओं की पुनः समीक्षा की मांग करेगा। इसमें से ज्यादातर योजनाएं देश के उपभोक्ताओं को लाभ देने वाली योजनाएं नहीं है बल्कि येन केन प्रकरण उपभोक्ताओं को परेशान करने वाली योजनाएं है देश के उपभोक्ताओं को लाभ देने वाली योजनाएं नहीं है बल्कि येन केन प्रकरण उपभोक्ताओं को परेशान करने वाली योजनाएं है।

देश के ऊर्जा मंत्री आरके सिंह जो बिहार आरा से अपना चुनाव हार गए हैं इससे या सिद्ध हो गया कि जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही योजनाएं देश व प्रदेश के उपभोक्ताओं को लुभा नहीं पाई। देश के ऊर्जा मंत्री आर के सिंह का हारना इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि जनता ने ऊर्जा मंत्रालय की योजनाओं को नकार दिया। वास्तव में यदि ऊर्जा मंत्रालय की योजनाएं उपभोक्ता हित में होती जनता के हित में होती तो देश के ऊर्जा मंत्री को जनता सर पर बिठाती और वह भारी मतों से चुनाव जीतते ।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा चाहे वह विदेशी कोयला खरीद का मामला रहा हो चाहे वह स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना को लगाने का मामला रहा हो चाहे वह आरडीएसएस योजना का मामला रहा हो चाहे वह अन्य योजना का मामला रहा हो या अनेकों रूल बनाने के मामले रहे हो उस पर बड़े पैमाने पर विवाद उठाता रहा। उपभोक्ताओं की सुनवाई व्यापक विरोध के बाद भी नही हुई। इन सभी योजनाओं से सबसे ज्यादा लाभ देश व प्रदेश के उद्योगपतियों का हुआ। ऊंची दरों पर उन्हें टेंडर मिले और क्वालिटी के नाम पर जो गुणवत्ता होनी चाहिए उसमें गिरावट पाई गई। उसका खामियाजा आज भी प्रदेश की जनता भुगत रही है इसलिए सभी योजनाओं की समीक्षा होना जरूरी है।

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