निजी गाड़ियों का स्तेमाल कर रहे अफसर – कॉमर्शियल का ले रहे भुगतान

मनमानी – गाड़ी कॉमर्शियल नही होने से आरटीओं को लग रहा लाखों का चूना, सर्किल में टेंडर कॉमर्शियल गाड़ी दिखाकर होता है

समरेश पति त्रिपाठी, लखनऊ। सइया भये कोतवाल तो अब डर काहे काहे का’ यह कहावत बिजली विभाग के अधिकारियों पर फिट बैठ रही है । उपखण्ड अधिकारी से लेकर मुख्य अभियंता तक को गाड़ी नियमानुसार दिया जाता है। विभागीय गाड़ी होने पर गाड़ी को कामर्शियल होना चाहिए। लेकिन कामर्शियल गाड़ी नहीं होने से अधिकारी लाखो का खेल प्रतिमाह कर रहे है। अधिकारी प्राइवेट गाड़ी से खूब मजा काट रहे है जबकी नियमतः किसी भी अधिकारी को गाड़ी विभाग द्वारा दिया जाता है तो वह कामार्शियल होना चाहिए। कामर्शियल गाड़ी नही होने से आरटीओ को प्रतिमाह लाखो का नुकसान हो रहा है।

UPPCL के 200 से अधिक अधिकारी प्राइवेट गाड़ियों से चल रहे है। उपखण्ड पर तैनात एसडीओ को 22 हजार बिजली विभाग के तरफ से विभाग देता है । पावर कार्पोरेशन में उपखण्ड अधिकारी से लेकर मुख्य अभियंता को उपभोक्ता से जुड़े कार्य करने के लिए नियमानुसार गाड़ी दिया जाता है लेकिन इसमें से ज्यादातर अधिकारी प्राइवेट लग्जरी गाड़ी से चलाते है। इनमें से कुछ ऐसे भी अधिकारी है जो ठेकेदारों से सांठ- गांठ कर अपनी ही गाड़ी अपने ही चलने के लिए विभाग से जोड़ लेते है। और विभाग से मिलने वाला पैसा भी स्वयं ले रहे है। इससे अधिकारी को दो फायदे होते है पहला गाड़ी स्वयं की होने से कार्यालय का कार्य समाप्त हो जाने पर घर का कार्य भी उसी गाड़ी से कर लेते है । और दूसरा यह है कि किस्ते जमा होने के बाद गाड़ी स्वयं की हो जाती है। प्रदेश भर में लगभग 4 हजार अधिकारी है। इस हिसाब से सभी गाड़ी कामर्शियल रहती तो आरटीओ को प्रतिवर्ष लाखो रूपये का फायदा होता ।

टेंडर होता है कामर्शियल का, लगती है प्राइवेट गाड़ी बिजली विभाग में उपखण्ड अधिकारी से लेकर मुख्य अभियंता को विभाग का कार्य करने के लिए गाड़ी का टेंडर प्रतिवर्ष होता है। जिसमें टेंडर होते समय बाबू और लेखा अधिकारी के मिलीभगत से कामर्शियल का कागज लगाकर टेंडर हो जाता है। जबकी अधिकारी को ठेकेदार के माध्यम से प्राइवेट गाड़ी दे दिया जाता है। लेसा के 12 अधिकारी ऐसे है जो लग्जरी प्राइवेट गाड़ी से चलते है।

प्राइवेट गाड़ी से चल रहे है यह अधिकारी : कमता एसडीओ, ठाकुरगंज एसडीओ, उत्तरठिया एसडीओ, गोमतीनगर एसडीओ, चिनहट एसडीओ, तालकटोरा एसडीओ, अपट्रान एसडीओ, गोमतीनगर एक्सीएन, चिनहट एक्सीएन, आलमबाग एक्सीएन, राजाजीपुरम एक्सीएन, राजाजीपुरम एसडीओ, महानगर एसडीओ, इन्दिरानगर एसडीओ, बाराबंकी के अधीक्षण अभियंता, सहित मुख्य अभियंता भी शामिल है। नियम नही लेकिन विशेष मांग पर ली है गाड़ी उपमुख्य लेखा अधिकारी के पद को पावर कार्पोरेशन के नियमानुसार गाड़ी नही मिल सकता है क्योंकि इस पद पर कार्य करने वाले अधिकारी को राजस्व से जुड़ा मामला देखना होता है राजस्व से जुड़ा होने के कारण वह कार्यायल में ही बैठकर अपना कार्य कर सकते है । ऐसे में लेसा सिस गोमती के मुख्य लेखा अधिकारी मोहम्मद आरिफ एमडी से विशेष फायदा लेकर प्रतिमाह 24 हजार से अधिकारी का भुगतान ले रहे है।

संविदा कर्मियों से भी चलवाते हैं गाड़ी : अधिकारी को चलने के टेंडर के तहत जो पैसा दिया जाता है उसमें ड्राइवर का पैसा भी जुड़ा होता है। लेकिन कुछ अधिकारी अपनी हनक और पकड़ के वजह से उपकेन्द्र पर तैनात संविदा कर्मियों को अपना ड्राइवर बना लेते है । इससे वे विभाग से मिलने वाला पैसा भी बच जाता है और संविदा चालक से अपने घर और परिवार के लोगो को लाने और ले जाने का कार्य भी करा लेते है । इसके बदले में अधिकारी संविदा कर्मी को वेतन के अलावा भी कुछ पैसा अपने पास से दे देते है।

जांच करायेंगे : आरटीओ

सरकारी विभाग मे चलने वाली गाड़ी कामर्शियल होना चाहिए, जिससे किसी प्रकार का घटना होने पर मुआवजा आसानी से मिल सके। कामर्शियल गाड़ी होने पर विभाग को भी टैक्स अधिक मिल सकेगा। कामर्शियल गाड़ी शहर में कितना है इसका भी पता आसानी से आरटीओ को चल सकेगा। टेंडर कामर्शियल का हो रहा है तो, गाड़ी भी कामर्शियल ही चलनी चाहिए, ऐसा नही हो रहा है तो इसकी जांच करायी जायेगी ।

UPPCL निदेशक कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग देता है इतना पैसा

  • उपखंड अधिकारी 22000, उपखंड अधिकारी की संख्या 3000
  • अधिशासी अभियंता – 24000, अधिशासी अभियंता की संख्या 1500
  • अधीक्षण अभियंता 25000, अधीक्षण अभियंता 442
  • मुख्य अभियंता – 26000, – मुख्य अभियंता – 140

सरकारी कार्यालय में विभागीय कार्य करने के लिए जिस गाड़ी से अधिकारी चलेंगे वह कामर्शियल होना चाहिए, इसके लिए आरटीओं समय-समय पर अभियान भी चलता है। अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ |

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