जागरण संवाददाता, मेरठ | विक्टोरिया पार्क स्थित विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक में निजीकरण की प्रक्रिया का विरोध किया गया। पदाधिकारियों ने कहा कि ऐसा हुआ तो बिजली कर्मचारी लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष करने के लिए विवश होगे। मेरठ में संघर्ष समिति के संयोजक निशांत त्यागी ने बताया कि वर्ष 2000 में विद्युत परिषद का विघटन होने के समय तक अभियंता प्रबंधन था। 1959 से 2000 तक 41 वर्षों में मात्र 77 करोड़ रुपये का घाटा था। विघटन के बाद 24 वर्ष में एक लाख दस हजार करोड़ रुपये घाटा हो गया।
प्रबंधन कर्मचारियों पर घाटा गोपकर अरबों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति पहले से तय कुछ निजी घरानों को सौंपने की तैयारी कर रहा है। पावर कारपोरेशन द्वारा प्रस्तुत आंकड़े भ्रामक है। यदि राजस्व वसूल लिया जाए तो पावर कारपोरेशन 5825 करोड़ के मुनाफे में है। दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथों में देने की तैयारी है। इनका बकाया लगभग 66,000 करोड़ रुपये है। निजीकरण के बाद यह निजी कंपनियों की जेब में चला जाएगा। बैठक में कृष्णा सारस्वत, अमित पाल, कपिल कुमार, जीतेंद्र कुमार, दिलमणि थपलियाल आदि शामिल रहे।
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