घाटे से ज्यादा का बिजली बिल बकाया फिर निजीकरण क्यों ?
एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ | घाटे की वजह से पावर कॉरपोरेशन को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP मॉडल) पर चलाने की वजह पर गुरुवार को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाए हैं। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि कॉरपोरेशन पर कुल घाटा 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये का है जबकि उपभोक्ताओं पर 1 लाख 15 हजार 825 करोड़ रुपये का बिल बकाया है। ऐसे में निजीकरण की जरूरत क्या है ? कॉरपोरेशन बिल वसूले और ₹5, 825 करोड़ के फायदे में आ जाए। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि अभी भी पावर कॉरपोरेशन के पास पर्याप्त समय है। वसूली की तरफ ध्यान दे। उपभोक्ताओं से बिल लेकर उन्हें अच्छी सुविधाएं दे बजाय कि निजीकरण के लिए कोई बहाना तलाशे ।
सीएम से हस्तक्षेप की मांग
राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण के फैसले पर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र में पुराने प्रकरणों का हवाला दिया है। उन्हें बताया है कि नियामक आयोग ने एक आदेश में ऐसे किसी भी फैसले के पहले उसके पास आने के आदेश दिए थे। इसके अलावा साल 2018 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी लिखित समझौता किया था कि कहीं भी निजीकरण का फैसला नहीं लिया जाएगा। पत्र में कॉरपोरेशन के इस फैसले से इंजिनियरों और कर्मचारियों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का भी जिक्र है।
पावर ऑफिसर्स असोसिएशन ने सदस्यों से किया आह्वान, अलर्ट रहें
पावर ऑफिसर्स असोसिएशन ने इस मसले पर गुरुवार को पदाधिकारियों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके प्रदेश के सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अपने सदस्यों को अलर्ट मोड में रहने को कहा है। असोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी आंदोलन के लिए तैयार रहें। असोसिएशन की कोर कमिटी की बैठक में आंदोलन की रणनीति पर व्यापक चर्चा की गई। सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों से भी मिलकर उनसे आंदोलन में सहयोग मांगें। सभी 403 विधान सभा क्षेत्रों में यह काम किया जाए। अवधेश ने कहा कि निजीकरण एक तरह से बाबा साहब द्वारा तय की गई आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था पर हमला है। सभी जनप्रतिनिधियों से कहा जाए कि अगर वे साथ नहीं देंगे तो माना जाएगा कि वे डॉ. अंबेडकर की संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास नहीं करते हैं।
सेवा शर्तों को लेकर गुमराह कर रहा कॉरपोरेशन: संघर्ष समिति
राज्य विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि वाराणसी और आगरा विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण से कर्मचारियों के लगभग 68,000 पद समाप्त हो जाएंगे और इन कर्मचारियों की छंटनी होगी। अरबों-खरबों रुपये की विद्युत वितरण कंपनियों की परिसंपत्तियों को कैड़ियों के मोल बेचे जाने की तैयारी है और कॉरपोरेशन इसे निजीकरण नहीं निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी बता रहा है। शैलेंद्र दुबे ने निजीकरण और निजीक्षेत्र की भागीदारी के विवाद में कहा कि नोएडा पावर कंपनी, दिल्ली और ओडिशा की सभी विद्युत वितरण कंपनियों में भी निजी क्षेत्रों की हिस्सेदारी 51% है। नोएडा पावर कंपनी में भी प्रबंध निदेशक निजी कंपनी का है और चेयरमैन सरकार का है। क्या पावर कॉरपोरेशन कहेगा कि नोएडा पावर कंपनी निजी नहीं है? समिति ने कहा पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन उन निजी घरानों के प्रवक्ताओं की तरह काम कर रहा है, जिन्हें पूर्वाचल और दक्षिणांचल बेचने की तैयारी है। समिति ने कहा है कि जब निजीकरण के बाद पद खाली होंगे तो पदावनति और छंटनी के अलावा क्या रास्ता रह जाएगा? कॉरपोरेशन प्रबंधन इस मसले पर झूठ न बोले।
पूर्वाचल तीन और दक्षिणांचल दो कंपनियों को दिया जाएगा।
पावर कॉरपोरेशन ने विभिन्न संगठनों के साथ गुरुवार को भी बैठक की। इसमें उन्होंने लोगों को जानकारी दी कि ट्रिपल-पी मॉडल के तहत पूर्वांचल डिस्कॉम को 3 और दक्षिणांचल को 2 कंपनियों में बांटे जाना है। 5 नई कंपनियों में प्रत्येक में औसतन 30-35 लाख उपभोक्ता होंगे। पांच कंपनियां होने से निजी निवेशक आएंगे और किसी के एकाधिकार की संभावना भी खत्म होगी। हर कंपनी में बड़े शहर, टाउन एरिया और ग्रामीण क्षेत्र आएंगे। कॉरपोरेशन ने एक बार फिर कर्मचारियों की छंटनी और पदावनति समेत अन्य आरोपों को खारिज किया है। बीते दो दिनों की बैठक के बाद कॉरपोरेशन ने तय किया है कि रिफॉर्म के संबंध में किए जाने वाले कॉन्ट्रैक्टों और एग्रीमेंट में अधिकारी व कर्मचारियों की सेवा शर्तों, वेतन, प्रोन्नति व टाइम स्केल आदि के बारे में स्पष्ट प्रविधान किया जाएगा। इससे सभी बिंदुओं पर संशय भी समाप्त हो जाएंगे और किसी भी दशा में कर्मचारियों व अधिकारियों के हितों का नुकसान नहीं होगा । कॉरपोरेशन ने घाटे के आंकड़ों पर उठ रहे सवालों को भी खारिज किया है और कहा है कि सभी आंकड़ें वास्तविक हैं, किसी से भी जांच करवा ली जाए।
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