मध्यांचल ने आचार संहिता में निरस्त किया 88 करोड़ का टेंडर

सौरभ मौर्य, लखनऊ। सालों से न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे संविदा कर्मियों की सैलरी में बढ़ोतरी इंजीनियरों रास नहीं आई। मध्यांचल के 19 जिलों में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मियों के लिए नवम्बर माह में टेण्डर जारी हुआ। जेम पोर्टल पर जारी 87.99 करोड़ का यह टेण्डर भारत सरकार के उपक्रम मेसर्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इण्डिया लिमिटेड को मिला। टेण्डर प्रक्रिया पूरी होने के बाद मध्यांचल ने कम्पनी के पक्ष में 26 फरवरी को एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) भी निर्गत कर दिया। एग्रीमेंट से पहले बगैर किसी ठोस कारण के एलओआई निरस्त कर दी गई। इससे इंजीनियरों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

  • फरवरी में जारी हो चुकी थी टेण्डर की एलओआई.
  • एसीमेंट से पहले निरन्त हुए टेंडर से उठे कई सवाल.

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अन्तर्गत लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, शाहजहांपुर, रायबरेली समेत करीब 19 जिले आते हैं। मध्यांचल के साथ जोन, सर्किल, डिवीजन व सब डिवीजन में करीब 1533 कर्मी आउटसोर्सिंग पर ऐसे है जिनका टेण्डर मुख्यालय से हुआ है। साल 2003-04 में जब मध्यांचल कम्पनी बनी थी तब आउटसोर्सिंग कर्मियों को केवल 3200 रुपये वेतन मिलता था। वक्त के साथ वेतन में बढ़ोतरी हुई जो अब तक केवल 11 हजार रुपये तक ही पहुंची है। साल 2023 में प्रदेश सरकार के आदेश पर मध्यांचल ने आउटसोर्सिंग का नया टेण्डर जारी किया। जेम पोर्टल पर 87, 99,47,033.52 रुपये का यह टेण्डर दो साल के लिए जारी किया गया। नवम्बर से अलग-अलग कम्पनियां इसके लिए प्रयासरत थीं। बाजी मारी भारत सरकार के उपक्रम मेसर्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इण्डिया लिमिटेड ने । कम्पनी को सभी मानकों पर खरा पाने के बाद मध्यांचल निगम ने 26 फरवरी को एलओआई जारी कर दी। अब बारी थी निगम व कम्पनी के बीच एग्रीमेंट की जिसके बाद कम्पनी काम शुरू करती। इंजीनियरों ने पैंतरा बदलते हुए एग्रीमेंट से पहले ही 30 मार्च को एलओआई निरस्त कर दी। अपने पत्र में अधीक्षण अभियंता प्रशासन यतेन्द्र कुमार ने एलओआई निरस्त करने का कोई कारण स्पष्ट नहीं किया। आरोप लग रहे हैं कि भारत सरकार का उपक्रम होने के नाते टेण्डर देने के बाद भी इंजीनियरों के निजी हित पूरे नहीं हो रहे थे जिस कारण ऐसा किया गया होगा ।

सुधर जाती संविदा कर्मियों की स्थिति

मेसर्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इण्डिया लिमिटेड को जो टेण्डर मिलना था उसे एमडी कमेटी में भी पास कराया जा चुका था। अगर कम्पनी को टेण्डर मिलता तो आउटसोर्स कर्मियों का वेतन बढ़कर 22,500 रुपये तक पहुंच जाता। टेण्डर में कर्मियों को 476, 632 व 425 के तीन ग्रुप में बांटा गया था। जिसके आधार पर उन्हें वेतन दिया जाना था। मगर अभियंताओं ने इस टेण्डर को ऐसे समय में निरस्त किया है जब प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार समान काम पर समान वेतन दिया जाना चाहिए। विद्युत विभाग न्यायालय के इस आदेश को नहीं मानता और आउटसोर्स कर्मियों से कम से कम वेतन में काम कराना चाहता है।

नियामक आयोग तक जा सकता है मामला है

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि इंजीनियर खुद सातवां वेतन मान ले रहे हैं और उसे पब्लिक के टैरिफ में शिफ्ट करा देते हैं । मगर संविदा कर्मियों के वेतन बढ़ोतरी की बात आयी तो टेण्डर निरस्त कर दिया। इस मामले को वह चेयरमैन यूपीपीसीएल आशीष कुमार गोयल और नियामक आयोग अध्यक्ष अरविन्द कुमार के समक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह संविदा कर्मियों का एक प्रकार से शोषण है कि बीस सालों से उनसे इतने कम वेतन में काम कराया जा रहा है।

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