सतर्कता अधिष्ठान को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सूचना देनी होगी

हल्द्वानी (एसएनबी)। भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में राज्य सूचना आयोग ने स्वीकार किया है कि आरटीआई एक्ट की मूल भावना एवं धारा 24(4) के परन्तुक के आधार पर सतर्कता विभाग एवं सतर्कता अधिष्ठान को मांगी गई सूचना दी जानी होगी। आयोग ने यह भी स्वीकार किया है कि राज्य सरकार की अधिसूचना संगठन  (इन्टेलीजेन्स ऑर्गनाइजेशन) घोषित किए जाने के वाबजूद इस तरह की सूचना रोकी नहीं जा सकती है। आयोग ने माना है कि आरटीआई एक्ट की धारा 24 की उप धारा 4 के अन्तर्गत सूचना के प्रगटन से छूट भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में नहीं मिल सकती है।

गौरतलब है कि सूचना अधिकार कार्यकर्ता रमेश पांडे ने सतर्कता अधिष्ठान से राज्य गठन से लेकर अब तक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कुल सामने आये ट्रैप के प्रकरणों में धारा 19 (1) के तहत अभियोजन की अनुमति प्राप्त प्रकरणों की संख्या तथा जिनमें अभियोजन की अनुमति प्राप्त नहीं की गई अथवा सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई, की संख्या बताने का आग्रह किया था। पांडे ने अधिष्ठान से ट्रैप के कुल प्रकरणों की संख्या तथा सरकार द्वारा केस वापस लेने वाले मामले भी बताने को कहा था।

इसके अलावा अब तक ट्रैप के प्रकरणों की संख्या, न्यायालय में 5 वर्ष या उससे अधिक समय से विचाराधीन मामले,न्यायालय द्वारा आरोपित को दी गई सजा, राज्य में विभागवार ट्रैप के प्रकरणों की संख्या, सतर्कता विभाग द्वारा ट्रैप के लिए गठित की गई टीमें एवं जनपद एवं राज्य मुख्यालय स्तर से दिए गये नकद पुरस्कार की धनराशि का विवरण चाहा था। पांडे ने बताया कि इन सवालों का जवाब लोक सूचना अधिकारी ने नहीं दिया और बाद में प्रथम अपीलीय अधिकारी के जवाब से भी वे संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद मामला सूचना आयोग में पहुंच गया। लंबी जिरह के बाद आयोग ने स्वीकार किया है कि इस तरह की सूचना को देय बताया है।

  • राज्य सूचना आयोग ने दिया फैसला.
  • लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी की दलील खारिज.

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