PVVNL में स्थानांतरण नीति में भ्रष्टाचार | Corruption in PVVNL Transfer Policy

मेरठ, 30 दिसम्बर ( देशबन्धु) । पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि. में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा। आए दिन कोई न कोई मामला भ्रष्टाचार को उजागर कर ही देता है। इसकी बानगी एक बार फिर देखने को मिली। अब स्थानांतरण नीति में पीवीवीएनएल के प्रबंधन द्वारा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पश्चिमांचल के दर्जनों अधिकारी दशकों से एक ही स्थान पर तैनाती पाए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों के स्थानांतरण न करने के लिए एक बड़े अधिकारी को मोटी रकम बतौर सुविधा शुल्क भी दी गई। जिससे ये तो साफ होता है कि पीवीवीएनएल के अधिकारियों को मुख्य सचिव का भी कोई खोफ नहीं है और उनके आदेशों ठेंगा दिखा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दर्गा शंकर मिश्र द्वारा स्थानांतरण नीति को लेकर करीब दो वर्ष पूर्व कुछ बदलाव किए गए थे। मुख्य सचिव ने समस्त अपर मुख्य सचिव, समस्त प्रमुख सचिव व समस्त सचिव को पत्र के माध्यम से नई स्थानांतरण नीति लागू करने के निर्देश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि जो अधिकारी जनपद के अधिकारी जो अपने सेवाकाल में संबंधित जनपद में कुल 3 वर्ष पूर्ण कर चुके हों, उन्हें जनपदों से बाहर ट्रांस्फर कर दिया जाये । इसी प्रकार अपने सेवाकाल में एक मण्डल में 7 वर्ष पूर्ण कर चुके अधिकारियों को भी स्थानान्तरित कर दिया जाये। स्थानांतरण नीति में बदलाव किए हुए करीब दो वर्ष बीत चुके है उसके बावजूद पीवीवीएनएल का प्रबंधन तंत्र बेखोफहोकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। इससे प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। दशकों से जमे अधिकारियों के कुछ नाम सामने भी आए हैं।

  • दशकों से एक ही स्थान पर तैनात हैं दर्जनों अधिकारी
  • नई स्थानांतरण नीति में अधिकतम तैनाती का समय केवल 3 वर्ष
  • मुख्य सचिव के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
  • भ्रष्टाचार पर नहीं लग पा रही लगाम

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