बिजली विभाग के अफसरों के खातों में भेजी गई गबन की धनराशि

10 करोड़ का गबन

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता । लेखा विभाग में कार्यरत एकाउंटेंट केशवेंद्र द्विवेदी के चलते पूर्वांचल डिस्कॉम पर भी पहली बार भ्रष्टाचार के गहरे दाग लगे हैं। अब तक दस करोड़ से अधिक के गबन की पुष्टि होने के साथ यह भी संकेत मिला है कि एकाउंटेंट ने लेखा विभाग के अफसरों के भी खातों में गबन की राशि जमा करवाई है। चर्चाओं में किसी के गले नहीं उतर रहा कि चार वर्षों तक एकाउंटेंट खुद ही माल उड़ाता रहा और किसी को खबर नहीं हुई।

एक विभागीय अधिकारी ने शुक्रवार को कहा भी कि किसी फर्म को पेमेंट की एक फाइल बनती है। बैंक से भी एक नोट शीट आती है। उससे पता चलता है कि धनराशि सही फर्म को गई है या नहीं। आश्चर्य है कि इस बिंदु पर लेखा के अधिकारियों ने कभी जांच नहीं की। लेखाकार पर धोखाधड़ी का केस लेखाधिकारी अजित जायसवाल ने लेखाकार केशवेंद्र द्विवेदी के खिलाफ चितईपुर थाने में धारा 420 467, 468, 471, 406 रपट लिखाई है। थानाध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने बताया कि प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है। आरोपित मूलरूप से खुल्दाबाद (प्रयागराज ) का रहने वाला है। वर्तमान में वह परिवार के साथ हाईडिल कॉलोनी के क्वार्टर नंबर-19 में रहता है । पूर्वांचल डिस्कॉम ने सात बैंकों से 2022 से केशवेन्द्र द्विवेदी के बचत खातों की डिटेल रिपोर्ट मांगी गई है। ताकि पता चले कि गबन की वास्तविक राशि कितनी है और वह कहां से खातों में आई ।

आडिटर भी नहीं पकड़े सके सूत्रों के अनुसार डिस्कॉम के कार्यों और पेमेंट की आडिट कराई गई थी । तब आडिट अधिकारी भी 10 करोड़ रुपये का गबन नहीं पकड़ सके। चर्चा है कि आडिट में भी लापरवाही बरती गई। बैंक खाता नंबर और आईएफएफसी कोड बदलने की बड़ी गलती नजर अंदाज कर दी गई।

कंप्यूटर, पेनड्राइव और कई दस्तावेज जब्त

अफसरों ने लेखाकार का कंप्यूटर, पेनड्राइव और कई दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। आलमारी खंगाली गई। एमडी गुरुवार देर रात तक उससे पूछताछ करते रहे। पुराने एमडी दफ्तर के कमरा नंबर – 114 में सारे रिकॉर्ड रहते हैं। एमडी ने रूम में ताला लगवा दिया था।

निदेशक वित्त ने बुलाई इमरजेंसी बैठक

निदेशक वित्त ने शुक्रवार को इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। उनके कार्यालय के बाहर लगी लाल बत्ती जला दी गई थी। दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुई बैठक शाम तक चली। बैठक में वित्त विभाग के सभी अधिकारी मौजूद थे।

हैदराबाद की फर्म से खुला फर्जीवाड़ा

एफआईआर के मुताबित हैदराबाद की मेसर्स एनसीसी लि. ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण 11वीं और 12वीं योजना का काम किया था। लगभग डेढ़ करोड़ की राशि उसे कैनरा बैंक में प्राप्त नहीं हुई। कंपनी ने वित्त विभाग को बताया। जांच में पता चला कि बैंक एडवाइजरी पर इंडियन बैंक अंकित है। इंडियन बैंक से पता चला कि केशवेंद्र के खाते में पैसा गया है। लेखाकार की सैप आई चेक की गई तो पता चला कि बैंक को भेजी एडवाइजरी भिन्न है। पूछताछ में पहले तो लेखाकार टाल मटोल किया। बाद में उसने बताया कि पैसा अपने खाते में ट्रांसफर कराया है।

हाईडिल कॉलोनी पहुंची पुलिस, नहीं मिला एकाउंटेंट

चितईपुर थाने के सुंदरपुर पुलिस चौकी की पुलिस शनिवार की शाम भिखारीपुर स्थित हाईडिल कॉलोनी पहुंची थी। कॉलोनी में लोगों से जानकारी ली गई। अधिकारियों से भी संपर्क किया गया। लेकिन, एकाउंटेंट उनके हत्थे नहीं चढ़ा। उसका मोबाइल नंबर भी बंद है।

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