प्रदेश में 50 प्रतिशत ब्रेकडाउन के लिए एलटी एबीसी केबिल जलना पाया गया
ग्रुप 5 संवाददाता, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रोस्टिंग व ब्रेकडाउन को शामिल कर लिया जाए तो वर्तमान में इस भीषण गर्मी में पीक डिमांड लगभग 30000 मेगावाट को पार कर रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में पीक डिमांड मीट आउट करने की उपलब्धता 28000 मेगावाट के आसपास है। पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष पूरे उत्तर प्रदेश में ब्रेकडाउन व व्यवधान के चलते सबसे ज्यादा उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। अनेको जनपदों उपभोक्ता सड़कों पर भी उतर आए। ऐसे में जब उपभोक्ता परिषद ने पूरे प्रदेश में मेजर ब्रेकडाउन का अध्ययन किया तो काफी चौंकाने वाले मामले सामने आए।
जल्द उपभोक्ता परिषद अपनी अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओ को पावर कार्पोरेशन प्रबंधन बिजली कंपनियों व विद्युत नियामक आयोग के साथ साझा करेगा। इस रिपोर्ट पर तकनीकी रूप से काम करने पर निश्चित तौर पर ब्रेकडाउन में कमी आएगी। फिलहाल प्रदेश में 50 प्रतिशत ब्रेकडाउन के लिए एलटी एबीसी केवल का जलना पाया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद एक अध्ययन किया है उसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में लगभग 50 प्रतिशत ब्रेकडाउन एलटी एबीसी केवल के जलने का है।
यदि बिजली कंपनियां ऐसे इलाकों को चिन्हित कर वहां अतिरिक्त एबीसी सर्किट डाल दें और उसे पर भार ट्रांसफर कर दें तो ब्रेकडाउन काम हो जाएगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 30 परसेंट ब्रेकडाउन तार टूटने का है। इसका मुख्य कारण पुराने बीजल कंडक्टर जिस पर 130 एम्पेयर के ऊपर भार जाते ही वह टूट जाता है। उसे तत्काल बदलकर रैबिट कंडक्टर किया जाए। जिससे 195 एम्पेयर तक लोड सहन करने की क्षमता हो बिजली कंपनियों में 10 प्रतिशत ब्रेकडाउन को अभिलंब रोका जा सकता है। यदि ट्रांसफार्मर के आउटपुट सर्किट के एलटी लोड को प्रॉपर लाक लगाकर बुसिंग रोड से टाइट कर दिया जाए इसी प्रकार सभी बिजली कंपनियों मे पावर ट्रांसफार्मर जो ओवरलोड हो रहे है उन्हें ठंडा करने के लिए कूलर अथवा स्टैंड फैन की व्यवस्था की जाए। विगत दिनों सामने आया कि 33 केवी लाइन जो अंडरग्राउंड थी उसमें ब्रेकडाउन हो गया।
घंटो विद्युत आपूर्ति बाधित रही सबसे खास बात यह कि उस अंडरग्राउंड केवल में कोई अल्टरनेट व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में पूरे प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में सभी अंडरग्राउंड केबल में अल्टरनेट व्यवस्था की जांच कराई जाए। यदि ऐसा ना मिले तो जो भी दोषी अभियंता है उनके खिलाफ कठोर कदम उठाया जाए। क्योंकि इसका खामियाजा जनता को भुगतना ही पड़ता है। इससे विभाग को आर्थिक हानि उतनी पड़ती है। जबकि अल्टरनेट व्यवस्था के तहत अंडरग्राउंड केबल खलते वक्त डबल केवल हर हाल में डाली जानी चाहिए।
20 प्रतिशत ब्रेकडाउन के मामले में ट्रांसफार्मर के जलने का मुख्य कारण है। ज्यादातर मामलों में अनबैलेंसिंग हर ट्रांसफार्मर पर फ्यूज सेट अलग से लगाये जाना सामने आ रहा है। कुछ मामलों में ट्रांसफार्मर 3 से 4 बार जल चुके और जिनकी लाइफ समाप्त हो चुकी है। ऐसे में उनकी जगह नए ट्रांसफार्मर लगाए जाएं रिपेयर ट्रांसफार्मर न लगाया जाए। घटिया क्वालिटी के केवल बॉक्स की वजह से भी 10 प्रतिशत ब्रेकडाउन हो रहा है।
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