लखनऊ (एसएनबी)। विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाये गये नियमो के तहत घरेलू उपभोक्ताओं का भार जवरदस्ती नहीं बढ़ाया जा सकता है। विजली उपभोक्ता का भार बढ़ाने के लिए उसके स्वीकृति भार से लगातार तीन महीने अधिक न आये और उसे एक महीने के नोटिस दिये जाने विना उसका भार नहीं बढ़ाया जा सकता है लेकिन गत कई महीनों से प्रदेश के एक किलोवाट के लाइफलाइन उपभोक्ताओं का विद्युत भार जवरदस्ती विना किसी नोटिस के बढ़ा दिया जा रहा है।
इसका प्रमुख कारण राजस्व बड़ाने के लिए सभी विजली कम्पनियों में लाइन लाइन गरीव विजली उपभोक्ताओं का एक किलोवाट वालों का टारगेट करके वढ़ा दिया जा रहा है। इससे लाइन लाइन गरीव उपभोक्ता अचानक अधिक भार का विल देखकर परेशान है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि आयोग इसकी जांच टीम बनाकर करा ले तो स्वताः पता चल जाएगा कि विजली कम्पनियों में नियमों का पालन न करते हुए विजली उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है।
गत महीनो से प्रदेश में विजली उपभोक्ताओं द्वारा विजली कंपनियों में राजस्व बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग व टैरिफ आदेश में जारी नियमो का उल्लंघन करते हुए विद्युत उपभोक्ताओं का भार वढाया जा रहा है। गर्मी शुरू होते ही इस प्रक्रिया को और तेज कर दिया गया है। इस वार खास तौर पर जो लाइफ लाइन कंज्यूमर गरीव विद्युत उपभोक्ता है उन्हें टारगेट किया जा रहा है।
राज्य विद्यत उपभोक्ता परिषद के ने कहा कि विजली कंपनियों में इस बात की मुहिम चल रही है कि एक किलो वाट के जो लाइफ लाइन गरीव विद्युत उपभोक्ता है, उनका भार अधिक से अधिक संख्या में बढ़ाया जाए जो एक तरह से कागज में गरीबों को अमीर बनाया जा रहा है। शायद विजली कंपनियों को यह नहीं पता कि वर्तमान में प्रदेश सरकार सबसे ज्यादा सब्सिडी लगभग 4500 करोड़ रुपया लाइफ लाइन विद्यत बिजली दरे ज्यादा न बढ़े।
वात करें वर्ष 2023-24 में तो कुल लगभग 1 करोड़ 59 लाख 13 हजार 497 लाइफ लाइन विद्यत उपभोक्ता शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में है। यदि किसी लाइफ लाइन विद्यत उपभोक्ता का भार बढ़ा दिय जाता है तो वह सब्सिडी की श्रेणी से बाहर हो जाएगा। वर्तमान में एक किलोवाट 100 यूनिट उसका मानक है। यदि किसी उपभोक्ता के मामले में गलत प्रक्रिया अपनाकर उसे एक किलोवाट की जगह दो किलोवाट कर दिया गया तो उसकी गरीबी रेखा के तहत मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी जो एक तरह से वड़ा अपराध है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन सभी विजली कंपनियों की जांच कराए और पूरी प्रक्रिया को देखे तो स्वतः पता चल जाएगा कि नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
- नोटिस दिए बिना नहीं बढाया जा सकता उपभोक्ता का विद्युत भार.
- राजस्व बढ़ाने के लिए गरीब विद्युत उपभोक्ता किये जा रहे टारगेट.
- नियामक आयोग कराये जांच तो बिजली कम्पनियों की खुल जाएगी पोल.
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