बिजली कंपनियों के नुकसान का खामियाजा भी भुगतेंगे उपभोक्ता

प्रस्तावित मानकों के विरोध में उपभोक्ता परिषद ने खोला मोर्चा

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: टैरिफ तय करने संबंधी प्रस्तावित नए मानकों (रेगुलेशन) के लागू होने पर बिजली चोरी ही नहीं बल्कि बिजली कंपनियों को होने वाले व्यावसायिक नुकसान का खामियाजा भी बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। इससे बिजली की दरों में जबरदस्त बढ़ोतरी की आशंका के मद्देनजर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्तावित मानकों के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। उपभोक्ता परिषद ने प्रस्तावित मानकों को निजी घरानों को फायदा पहुंचाने वाला बताते हुए विद्युत नियामक आयोग की भूमिका पर सवाल भी उठाए हैं।

दरअसल, मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रेगुलेशन्स के आधार पर ही आयोग बिजली की दरें तय करता है। अगले पांच वर्ष के लिए नए सिरे से बनाए जाने वाले रेगुलेशन्स पर आयोग ने 15 फरवरी तक आपत्ति – सुझाव मांगे हैं। आयोग 19 फरवरी को सुनवाई करने के बाद रेगुलेशन्स को अंतिम रूप देगा। प्रस्तावित रेगुलेशन पर कड़ी आपत्ति उठाते हुए परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि इसके लागू होने पर बिजली चोरी से लेकर बिजली कंपनियों को भ्रष्ट तंत्र से होने वाले व्यावसायिक नुकसान की भरपाई भी बिजली की दर बढ़ाकर उपभोक्ताओं से की जाएगी।

उन्होंने कहा कि आयोग की सोचना चाहिए कि जब बिजली चोरी से नुकसान को रोकने के लिए, विजिलेंस विंग से लेकर बिजली थाने पर भारी भरकम खर्च किया जा रहा है तब फिर बिजली दर तय करने के मानकों में इसे क्यों शामिल किया जाए? वर्मा ने कहा कि प्रस्तावित रेगुलेशन से साफ है कि इसके जरिये आयोग भविष्य की निजी विद्युत वितरण कंपनियों के लिए, भी रास्ता खोलना चाहता है। निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए, वर्मा ने कहा कि 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं को संरक्षण देने वाले आयोग को स्वतंत्र संस्था के तौर पर अपनी गरिमा को बनाए रखना चाहिए। प्रस्तावित रेगुलेशन से भले ही आयोग पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम के निजीकरण के पक्ष में रास्ता निकालना चाहता है लेकिन वह इसे होने नहीं देंगे। उपभोक्ताओं से शनिवार को राय लेकर इसके विरोध में संघर्ष की घोषणा करेंगे।

बिजली विभाग से संबंधित अन्य पोस्ट भी देखें :

उपभोगता जाग्रति और सरक्षण के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब जरुर करें |

Social Share:

Leave a Comment

CAPTCHA ImageChange Image