लखनऊ, विशेष संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध को लेकर विरोध का सिलसिला और तेज होने जा रहा है। आंदोलित कर्मचारी और अभियंता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर मंगलवार को पूरे दिन काला फीता बांधकर काम करेंगे। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के विफल प्रयोगों की समीक्षा किये बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई और प्रयोग न किया जाये। संघर्ष समिति के ‘पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय आदि ने निजीकरण के दुष्परिणाम गिनाए ।
ग्रेटर नोएडा में करार के अनुसार निजी कंपनी को अपना विद्युत उत्पादन गृह स्थापित करना था जिसे उसने आज तक नहीं बनाया है। ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल लोड 85 प्रतिशत है। इस प्रकार भारी कमाई का क्षेत्र निजी हाथों में चला गया है। ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे पावर कारपोरेशन प्रबंधन के निजीकरण के एकतरफा फैसले को निरस्त किया जाये।
राज्यकर्मी भी करेंगे आंदोलन का समर्थनः निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के आंदोलन का राज्य कर्मचारी भी समर्थन करेंगे। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने सोमवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक प्रभाव सरकारी विभागों पर भी पड़ेगा। बिजली महंगी होगी, यातायात सेवाएं एवं उपभोक्ता को मिलने वाली सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी।
आरोपः निजी कंपनियां नहीं लगा रहीं 5 प्रतिशत चेक मीटर
लखनऊ। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जहां बिजली कंपनियां चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं निजीकरण की गूंज में सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले निजी घराने उपभोक्ताओं के घर तेजी से मीटर लगा रहे हैं। जो 5 प्रतिशत- उपभोक्ताओं के घर में चेक मीटर पुराने मीटर के रूप में स्थापित करना था उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।
परिषद ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 4 लाख 25 हजार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग गए लेकिन 5 प्रतिशत चेक मीटर की जगह केवल ढाई से तीन हजार ही चेक मीटर लगे हैं। अब तक उसका कोई भी मिलान नहीं किया गया। आरोप लगाया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनियां निजीकरण की आड़ में अवसर तलाश कर घटिया मीटर लगाने में आमादा हैं। वहीं, दलित अभियंताओं के संगठन उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने निजीकरण के विरोध में सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं से मंगलवार को काली पट्टी बांधकर काम करने को कहा है। महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद ने संयुक्त बयान में कहा कि अभी भी समय है।
अभियंत्रण विभागों से ड्यूटी लगाना अनुचित
लखनऊ। निजीकरण के विरोध में आंदोलित बिजली विभाग के इंजीनियरों के स्थान अभियंत्रण विभागों में कार्यरत अभियंताओं की ड्यूटी लगाए जाने पर उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन ने एतराज जताया है। एसोसिएशन के महासचिव आशीष यादव ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने अभियंत्रण विभागों में कार्यरत सिविल या यांत्रिक संवर्ग के. अभियंताओं की ड्यूटी विद्युत विभाग के अभियंताओं के स्थान पर लगाने को अनुचित ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि अभियंत्रण विभागों के अभियंता विद्युत संबंधी कार्यों के लिए प्रशिक्षित नहीं होते।
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