विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति लामबंद, 2023 की हड़ताल में शामिल बिजली कार्मिकों को चिन्हित किया जा रहा
लखनऊ, विशेष संवाददाता। प्रदेश की बिजली कंपनियों की 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को सौंपने की उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन की तैयारियों में बाधक बनने वालों से सख्ती से निपटने की तैयारी की गई है। शासन व सत्ता से ऐसे संकेत मिलने के बाद प्रबंधन आंदोलन होने की स्थिति में कठोर से कठोर दंड देने पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार यदि किसी ने बिजली उत्पादन या सप्लाई में व्यवधान डालने अथवा • हड़ताल करने की कोशिश की तो उसे सीधे बर्खास्त किया जाएगा।
पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने दिसंबर 2022 तथा मार्च 2023 में हड़ताल में अराजकता तथा विद्युत प्रणाली में बाधा पहुंचाने वाले (असामाजिक तत्वों) कार्मिकों को चिन्हित करने का निर्देश जिलाधिकारियों व मंडलायुक्तों को दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि रिफार्म की प्रक्रिया में बाधा डालने वालों से सख्ती से निपटने का निर्देश शासन व सत्ता से मिले है | जिसके आधार पर पावर कार्पोरेशन आवेदन तयार कर रहा है
आरोप : सेवा शर्तों पर गुमराह कर रहा है प्रबंधन
प्रबंधन पर कार्मिकों की सेवा शर्तों के बारे में गुमराह करने का आरोप लगाते हुए संघर्ष समिति पदाधिकारियों ने कहा कि वाराणसी विद्युत वितरण निगम में 17330 और आगरा विद्युत वितरण निगम में 10411 नियमित कर्मचारी तथा दोनों निगमों में 50000 संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं। नियमित कर्मचारी निजी कंपनी की नौकरी में जाना स्वाकार नहीं करेंगे और संविदा कर्मियों को निजी कंपनी लेगी नहीं तो इन 68000 कर्मचारियों के सामने नौकरी जाने का संकट है।
कीमती कंपनियां कौड़ियों में बेचने की कोशिश
समिति ने यह भी आरोप लगाया कि अरबों-खरबों की विद्युत वितरण कंपनियों की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचने की तैयारी की गई है और प्रबंधन कह रहा है कि निजीकरण नहीं हो रहा है, महज निजी क्षेत्र की भागीदारी हो रही है। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन बोल रहे हैं कि निजी भागीदारी में 5.1 फीसदी हिस्सेदारी निजी कंपनी की होगी। समिति ने सवाल किया कि नोएडा पावर कंपनी, दिल्ली और ओडिशा की सभी विद्युत वितरण कंपनियों में भी निजी क्षेत्र की 51 प्रतिशत और सरकार की 49 प्रतिशत भागेदारी है। प्रबंधन यह बताए कि नोएडा पावर कंपनी निजी कंपनी नहीं है तो क्या है ?
प्रबंधन निजी घरानों का प्रवक्ता बन गया
लखनऊ, विशेष संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश की गुरुवार को हुई बैठक में कहा गया कि निजीकरण को लेकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन झूठ फैला रहा है। प्रबंधन उन निजी घरानों के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है. जिन्हें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियां सौंपने की बात है। कहा गया कि भारत सरकार ने सितंबर 2020 में वितरण कंपनियों के निजीकरण का ड्राफ्ट बिडिंग डाक्यूमेंट जारी किया था, जिसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
समिति ने सवाल उठाया कि प्रबंधन यह बताए जब बिडिंग डाक्यूमेंट फाइनल ही नहीं है, तब पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्यत वितरण निगम का निजीकरण किस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर किया जा रहा है। आरोप लगाया गया कि निजीकरण की प्रक्रिया में कार्मिकों की सेवा शर्तों के बारे में भी प्रबंधन सबको गुमराह कर रहा है। बैठक में संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों में राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहेल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पांडेय आदि ने विचार रखे।
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