बीएचईएल को आर्डर दिए जाने से मामला गरमाया
लखनऊ (ग्रुप 5 सं.)। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जहां 800 मेगावाट की 2 इकाइयों यानी 1600 मेगावाट की बिजली थर्मल उत्पादन के लिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 63 के तहत बिडिंग रूट से टेंडर की प्रक्रिया जारी की गई है। कल विद्युत नियामक आयोग में स्टैंडर्ड बिडिंग गाइड लाइन के तहत टेंडर में कुछ विचलन पर अनुमोदन के लिए याचिका पर सुनवाई संपन्न हुई। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में ही एक नए घटनाक्रम के तहत 800 मेगा वाट की ही 2 इकाइयों के लिए मिर्जापुर थर्मल एनर्जी यूपी प्राइवेट लिमिटेड अदानी ग्रुप द्वारा बीएचईएल को ऑर्डर दिया गया है। इसके बाद प्रदेश में चर्चा आम हो गई है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा 1600 मेगावाट के लिए जो टेंडर को आगे बढ़ाया गया है। उसका और अदानी पावर का कोई पिछले दरवाजे संबंध है। यदि नहीं है तो अदानी पावर द्वारा जो प्रोजेक्ट लगाया जाएगा उसकी बिजली कौन खरीदेगा। वह एमओयू रुट का प्रोजेक्ट है। तो कैसे क्योंकि देश में एमओयू रूट का प्रोजेक्ट पहले ही बंद हो चुका है।
कुल मिलाकर बहुत जल्द ही स्थिति साफ होगी। लेकिन प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि विद्युत नियामक आयोग को पावर कॉरपोरेशन की विचलन याचिका पर आम जनता का पक्ष सुनने के लिए भी सभी को अनुमति प्रदान करना चाहिए। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा चुकी पावर कॉरपोरेशन जब उत्पादन निगम द्वारा पावर प्रोजेक्ट लगाने की बात की जाती है तो वह उसके द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि शक्ति योजना के तहत पावर कारपोरेशन को जो कोयला का आवंटन मिला है। उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि बिडिंग रूप से ही पावर प्रोजेक्ट लगाना होगा इसलिए पावर कॉरपोरेशन बिडिंग रूट के तहत उत्पादन इकाई लगाने की बात कर रहा है और यदि उत्पादन निगम चाहता है कि उसे यह काम मिले तो उसे भी टेंडर में भाग लेना चाहिए। कुल मिलाकर उपभोक्ता परिषद की पूरी नजर है और आगामी विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में उपभोक्ता परिषद भी आयोग से अनुमति मांगेगा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 63 के तहत स्पष्ट रूप से टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता है कि नहीं के लिए आयोग को पूरे मामले की छानबीन करना होता है। ऐसे में स्टैंडर्ड बेटिंग गाइड लाइन में जो विचलन मांगा जा रहा है वह भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत जरूरी है अथवा नहीं इसलिए उपभोक्ताओं को भी उनका पक्ष सुनने का मौका देना चाहिए।
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