प्रीपेड बिजली कनेक्शन कटने के अलर्ट मैसेज पर देने होंगे 10 रुपये

उपभोक्ताओं को कनेक्शन जुड़वाने के लिए करना होगा 50 रुपये का भुगतान

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने पर उपभोक्ताओं का खाता जीरो बैलेंस होते ही अलर्ट मैसेज जारी होगा। इस मैसेज के लिए उपभोक्ताओं को 10 रुपये देना होगा। फिर कनेक्शन जुड़वाने के लिए 50 रुपये देना होगा। इसके लिए पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग में प्रस्ताव दिया है। इसकी जानकारी मिलते ही राज्य उपभोक्ता परिषद ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। परिषद ने इसे असंवैधानिक बताया है।

प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ विद्युत वितरण निगमों की ओर से पावर कॉर्पोरेशन वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर चुका है। इस बीच पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग में एक नया प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। इसके मुताबिक यदि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में उपभोक्ता द्वारा लिया गया रिचार्ज ख़त्म हो जाता है तो अगले दिन बिजली कटने के संबंध में अलर्ट मैसेज भेजा जाएगा। इस मैसेज के एवज में उपभोक्ता को 10 रुपये का चार्ज देना होगा। इसी तरह उपभोक्ता को शुल्क जमा करने के बाद कनेक्शन जुड़वाने के लिए भी 50 रुपये का शुल्क देना होगा। जबकि अभी तक प्रीपेड मीटर में इस तरह की व्यवस्था नहीं है।

असंवैधानिक है प्रस्ताव, लागू नहीं होने देंगे : वर्मा

राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 में कनेक्शन काटने से 15 दिन पहले नोटिस देने का नियम है। कनेक्शन कटने अथवा जोड़ने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47 ( 5 ) के तहत उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर में ऑटोमेटिक तरीके से बकाये पर अपने आप कनेक्शन कट जाता है तो फिर यह शुल्क क्यों लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पोस्टपेड के मामले में कनेक्शन जोड़ने और काटने में मैनपावर की जरूरत पड़ती है। इसलिए वहां 300 रुपये शुल्क की व्यवस्था है। प्रीपेड में सभी व्यवस्थाएं ऑटोजेनरेटेड हैं।

43 हजार करोड़ रुपये से होगा विद्युत निगमों का आधुनिकीकरण

लखनऊ। प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों के आधुनिकीकरण के लिए सरकार 43 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी में है। इसके तहत मीटर से लेकर फीडर तक को दुरुस्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने हाल ही में बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस संबंध में एक प्रेजेंटेशन का अवलोकन भी किया है। सर्वाधिक 12,300 करोड़ रुपये दक्षिणांचल में खर्च होगा।

  • दक्षिणांचल में खर्च होंगे करीब 12 हजार करोड़ रुपये.
  • आरडीएसएस के तहत वाराणसी में 1309 करोड़ रुपये होंगे खर्च.

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 8,759.87 करोड़, मध्यांचल में 10,146 करोड़, पश्चिमांचल में 10,563 करोड़ और केस्को में 1,198 करोड़ रुपये से कार्य कराए जाएंगे। इसके अलावा 29,619 करोड़ रुपये से स्मार्ट मीटर के कार्य को भी तेज किया जाएगा। अकेले वाराणसी में बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए 1,535 करोड़, अयोध्या के लिए 1,200 करोड़ और कानपुर लिए 1,309 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी तरह नोएडा के के लिए 823 करोड़ रुपये से बिजली व्यवस्था का आधुनिकीकरण होगा। राज्य सरकार ने प्रदेश के 33/11 केवी के सवस्टेशनों में मौजूद 10 एमवीए के ट्रांसफॉर्मर को भी अपग्रेड करके 20 एमवीए का करने की तैयारी में है। ब्यूरो

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