अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में लग रहे प्रीपेड स्मार्ट मीटर की जांच में कई तरह की गड़बड़ियां पाई गई हैं। इस संबंध में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अफसरों ने निर्देश दिया कि कमियं दूर होने के बाद ही इन मीटरों को लगाया जाए। जबकि संबंधित कंपनी के ही मीटर पश्चिमांचल एवं पूर्वांचल में लगा दिए गए हैं। ऐस में राज्य उपभोक्ता परिषद ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर के मामले में नियामक आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगमों की ओर से उपभोक्ताओं के घर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। अभी कुछ स्थानों पर अस्थायी तौर पर फीडर, वितरण ट्रांसफार्मर पर स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। उपभोक्ता परिषद की ओर से मीटर को बिना आईटी सिस्टम इंटीग्रेशन क्लीयरेंस (आईएसईसी) के लगाए जाने का मुद्दा उठाया। ऐसे में पावर कार्पोरेशन ने सभी निगमों को क्लीयरेंस का निर्देश दिया। मध्यांचल ने जांच कराई तो मीटरों में करीब 21 तरह की कमियां पाईं गई हैं। मोबाइल एप कंज्यूमर पोर्टल पर भी लगभग 10 कमियां सामने आई हैं। भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत मीटर डाटा मैनेजमेंट सिस्टम (एमडीएमएस) व हेड इंड सिस्टम (एचईएस) में भी करीब 19 तरह की कमियं पाई गई हैं। ऐसे में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने निर्देश दिया है कि फीडर व वितरण ट्रांसफार्मर पर केवल अस्थाई तौर पर ही इन मीटरों को लगाया जा सकता है। कमियां दूर करने के बाद ही इसे उपभोक्ताओं के यहां लगाया जाएगा। विभागीय अफसरों को दिए गए निर्देश में यह भी कहा गया है कि यदि इनटैली स्मार्ट कंपनी अपने मीटरों की कमियां दूर नहीं करती है। तो इन पर पूरी तरह से रोक दिया जाए।
पूर्वांचल में लगा दिए सात हजार मीटर
मध्यांचल में मीटरों में गड़बड़ी पाई गई है। जबकि पूर्वाचल में इसी कंपनी के करीब सात हजार से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए गए हैं। पश्चिमांचल में भी बिना आईटी क्लीयरेंस के मीटर लगाए जा रहे हैं।
मिली हैं कमियां
मध्यांचल की जांच रिपोर्ट में मीटरों में मिली कमियों का खुलासा करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश निर्मित सामग्री लगी हुई है। अभियंताओं ने परीक्षण के वक्त मीटर खोलकर सामग्री कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर में घटिया किस्म के चीन (कंपोनेंट) का मिलन भी नहीं किया। मध्यांचल की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि ये मीटर उपभोक्ताओं के लिए घातक हैं। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि मीटर में ऑटोमैटिक डिस्कनेक्ट ट्रिगर नहीं है। ऑटो डिस्कनेक्ट फीचर में समस्या, मीटर इनिशियल लोड का सही नहीं पढ़ना, मीटर स्क्रीन पर अंतिम माह की मांग सही नहीं बताने, अलार्म काम नहीं करने, मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट (एमडीएम) के साथ सेट लोड लिमिट नहीं जुड़ने, बिलिंग साइकिल सहित तमाम तरह की कमियां हैं। परिषद् अध्यक्ष ने कहा कि जब यह मीटर उपभोक्ता के घर में लगेगा और वह सर्वर से जुड़ेगा तो और ज्यादा कमियां सामने आएंगी। ऐसे में निगमों में बिना आईटी सिस्टम इंटीग्रेशन क्लीयरेंस के मीटर लगाने की कार्यवाही की भी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। उन्होंने बताया कि पूरे मामले में नियामक आयोग से भी जांच कराने की मांग की गई है।
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