एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ | डिस्ट्रिब्यूशन यूटिलिटी मीट के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर दो दिवसीय लखनऊ दौरे पर हैं। इस बीच बुधवार को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पांच सूत्रीय मांग पत्र भेजा है। इसमें रीवैंप डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) की सीबीआई जांच करवाने और स्मार्ट प्री- पेड मीटर लगवाने की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी मांगें हैं।
उपभोक्ता परिषद केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजा मांग पत्र
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आरडीएसएस योजना के तहत यूपी को मीटर मद में 18,885 करोड़ रुपये का अनुमोदन किया गया था। लेकिन यूपी में 27,342 करोड़ रुपये का टेंडर पास किया गया है। करीब साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का अंतर यह साबित करता है कि प्रदेश में ऊंची दरों में टेंडर पास किया गया। इस मामले की सीबीआई से जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा उपभोक्ता परिषद ने दावा किया है कि स्मार्ट प्री-पेड मीटरों में चाइनीज कंपोनेंट इस्तेमाल किए गए हैं। इसकी जांच एक उच्च स्तरीय समिति से करवाई जानी चाहिए । उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि विद्युत अधिनियम-2003 के मुताबिक स्मार्ट प्री-पेड मीटर उपभोक्ताओं के लिए एक विकल्प है। जबकि केंद्र सरकार ने रूल बनाकर इसे सभी के लिए अनिवार्य कर दिया है। इस पर फिर से विचार होना चाहिए।
यूपी को मिले सस्ती बिजली :-
- उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि यूपी को महंगी बिजली आवंटित है । अब काफी समय बीत चुका है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाना चाहिए ।
- उपभोक्ता परिषद ने गर्मियों में पीक आवर में जेनरेटरों द्वारा 10 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेचने की भी व्यवस्था खत्म करने की मांग की है। कहा कि बिजली का उत्पादन30 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से होता है। ऐसे में अधिकतम बिक्री मूल्य 6 रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
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