स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्चा बिजली उपभोक्ताओं को नहीं उठाना पड़ेगा

नियामक आयोग ने कंपनियों को दिया खर्च वहन करने का आदेश

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ | स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए बिजली कंपनियां अब उपभोक्ताओं पर किसी भी तरह का कोई वित्तीय भार नहीं डाल सकेंगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि बिजली कंपनियां मीटर के खर्चे की भरपाई के एवज में न बिजली महंगी कर सकेंगी और न ही उपभोक्ताओं से किसी और रूप में वसूली कर सकेंगी। कंपनियों को बिजली चोरी रोककर विद्युत राजस्व वसूली बढ़ाने के साथ ही अपनी दक्षता के आधार पर ज्यादा कमाई कर स्मार्ट मीटर के वित्तीय भार को स्वयं उठाना होगा।

केंद्र सरकार की योजना आरडीएसएस (संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) के तहत बिजली कंपनियों को राज्य के सभी बिजली उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने 18,885 करोड़ रुपये बतौर अनुदान दिया है। गौर करने की बात यह है कि राज्य में बिजली कंपनियों ने जिस दर पर मीटर खरीदे हैं उससे मीटर का कुल खर्चा 27,342  करोड़ रुपये पहुंच गया है। लगभग 45 प्रतिशत ज्यादा खर्चे की भरपाई किसी तरह से उपभोक्ताओं से करने की भनक लगने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया था। परिषद की लंबी लड़ाई के बाद आयोग ने शुक्रवार को इस संबंध में दिए आदेश में स्पष्ट कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना पर होने वाले किसी भी खर्च की भरपाई उपभोक्ताओं से किसी भी रूप में नहीं की जाएगी।

कंपनियों को बिजली चोरी रोक विद्युत राजस्व बढ़ाने के लिए खुद की बढ़ानी होगी दक्षता

कंपनियां, वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) या बिजली दर या फिर टूअप के जरिये उपभोक्ताओं पर लगभग 8,498 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार नहीं डाल सकेंगी। केंद्र सरकार योजना को आत्मनिर्भर मानते हुए अतिरिक्त धनराशि देने से मना करते हुए पहले ही कह चुकी है कि उपभोक्ताओं पर मीटर का भारन डाला जाए। कंपनियां विद्युत राजस्व वसूलने की दक्षता बढ़ाकर अतिरिक्त खर्चे की भरपाई खुद से करें।

परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निर्णय पर आयोग के अध्यक्ष अरविन्द कुमार से मिलकर उनका आभार जताते हुए कहा कि आखिर वित्तीय संकट से जूझ रही बिजली कंपनियां कहां से अतिरिक्त धनराशि जुटाएंगी ? सवाल उठाया कि राज्य में अधिक दर पर मीटर खरीदने की सीबीआइ से जांच क्यों नहीं कराई जा रही है? क्या सरकार सब्सिडी देगी? उन्होंने कहा कि इस पर भी पुनर्विचार होना चाहिए कि आठ वर्षों तक चलने वाली परियोजना के तहत अभी लगाए जाने वाले 4जी मीटर की तकनीक अगले दो वर्ष में खत्म हो जाएगी और तब तक 5जी तकनीक आने पर क्या मीटर सही से काम कर सकेंगे ? एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने पूर्व में लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर 2जी – 3जी तकनीक के लगाए थे लेकिन उन्हें 4जी में दिक्कत आ रही है।

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