राज्य ब्यूरो, लखनऊ, अमृत विचार | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने असंतोषजनक प्रदर्शन करने वाले शासन के सभी विभागों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, तहसीलों, रेंज, थानों से स्पष्टीकरण मांगा है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कहां, किस विभाग में आम आदमी के कितने आवेदन लंबित हैं, क्यों लंबित हैं, इसकी समीक्षा करें और जवाबदेही तय करें। झूठी या भ्रामक रिपोर्ट लगाने वाले कार्मिकों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिलों में राजस्व वादों के निस्तारण और कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सम्पूर्ण समाधान दिवस और थाना दिवस में आने वाले मामलों के शिकायतकर्ताओं से मिले फीडबैक और आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर जनता से मिले फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, अधिकारी तय समय पर जनता से जरूर मिलें, जन सुनवाई को प्राथमिकता दें।
मुख्यमंत्री ने खासकर पैमाइश लँड्यूज, अकृषक भूमि घोषित किए जाने से जुड़े लंबित मामलों की जिलावार रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि कहीं भी किसी गरीब के साथ अन्याय न हो। बैठक में सभी मंडलायुक्त, पुलिस जोन एडीजी, जिलाधिकारी, आईजी, पुलिस कप्तान आदि अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सहभागिता की।
- असंतोषजनक प्रदर्शन करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने मांगा स्पष्टीकरण |
- मुख्यमंत्री ने की राजस्व वादों के निस्तारण और कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा |
सर्च ऑपरेशन चले, एक भी उपद्रवी बचना नहीं चाहिए
मुख्यमंत्री के मुताबिक, गौतमबुद्ध नगर हो, अलीगढ़ हो या संभल अथवा कोई अन्य जिला, अराजकता की छूट किसी को नहीं दी जा सकती। संभल घटना से जुड़े उपद्रवियों के साथ पूरी कठोरता के साथ निपटें। जिन लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया है, उसे ठीक कराने का खर्च उन्हीं से वसूल की जाए। अराजकता फैलाने वालों को चिन्हित कर उनके पोस्टर लगाएं, जन सहयोग लें, सघन सर्च ऑपरेशन चलाएं। एक भी उपद्रवी बचना नहीं चाहिए।
शिकायतकर्ता का फीडबैक ही प्रदर्शन का मानक
मुख्यमंत्री ने हिदायत दी कि आईजीआरएस में मिलने वाले आवेदन हों या सीएम हेल्पलाइन अथवा थाना, तहसील, विकास खंड में पहुंचने वाले शिकायतकर्ता, सबकी सुनवाई की जाए। पीड़ित व्यक्ति की मनोदशा को समझें, उसकी भावना का सम्मान करें और पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान हो । शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का मानक होगा।
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