लखनऊ, विशेष संवाददाता । पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण को लेकर विरोध का सिलसिला जारी है। बुधवार को कई और राज्यों के समर्थन के साथ ही अब तक 11 राज्यों के बिजली अभियंता संघों ने भी निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आंदोलन का समर्थन किया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि आगरा में टोरेंट पॉवर को सस्ती बिजली देने से एक साल में 274 करोड़ रुपये के नुकसान का मॉडल वितरण निगमों पर थोपने से किसका भला होगा।
बुधवार को कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमांचल प्रदेश के बिजली अभियन्ता संघों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाए वर्ष 2023-2024 में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में बिजली की औसत लागत और औसत राजस्व वसूली के बीच 3.99 प्रति यूनिट नहीं बल्कि 2.66 रुपये प्रति यूनिट का अंतर है जबकि पावर कारपोरेशन यह अंतर 3.99 रुपये बताकर निजीकरण को सही ठहरा रहा है।
“पंजाब, उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, झारखण्ड, महाराष्ट्र, और हरियाणा समेत छह राज्यों के बिजली अभियंता संघ पहले ही निजीकरण के विरोध को समर्थन दे चुके हैं”
कारपोरेशन पर गलत आंकड़े देने का आरोप
संघर्ष समिति ने कारपोरेशन पर गलत आंकड़े देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा की दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के ऑडिटेड अकाउंट के अनुसार वर्ष 2023- 24 में बिजली की लागत 7 रुपये 13 पैसे प्रति यूनिट थी जबकि औसत राजस्व वसूली 4.47 रुपये प्रति यूनिट थी जिसमें सब्सिडी की धनराशि सम्मिलित नहीं है। यह अंतर मात्र 2.66 रुपये प्रति यूनिट का है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पॉवर कॉरपोरेशन द्वारा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 34% लाइन हानियां बताई गई हैं जबकि ऑडिटेड अकाउंट के अनुसार लाइन हानियां 20.23 फीसदी हैं।
महंगी बिजली खरीद से 274 करोड़ की हानि
संघर्ष समिति ने खुलासा किया कि वर्ष 2023-24 में टोरेंट पावर को आगरा में सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करने के कारण मात्र एक वर्ष में पावर कारपोरेशन को 274.01 करोड़ का नुकसान हुआ है। वर्ष 2023-24 में पावर कॉरपोरेशन ने टोरेंट पावर को 2301.70 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति की। यह आपूर्ति 4.36 रुपये प्रति यूनिट की दर से की गई जबकि पावर कॉरपोरेशन की बिजली खरीद की लागत 5.50 प्रति यूनिट थीं। इस प्रकार केवल एक वर्ष में कारपोरेशन को 274.01 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। सवाल उठाया कि टोरंट कंपनी न किसान है और न ही बीपीएल उपभोक्ता तो उसे खरीद से कम दाम पर बिजली क्यों दी जा रही है।
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