विभाग की अनुमति के बिना जेई ने हटवा दिया 33 केवी लाइन का पोल

जांच में दोषी, फिर क्लीनचिट कैसी ?

जनवाणी संवाददाता, मेरठ | विभाग की अनुमति के बगैर पीवीवीएनएल एक जेई ने जीतपुर में 33 केवी लाइन पोल हटवा दिए। इस मामले की जांच के आदेश दिए गए। जांच में माना कि कसूर किया है, फिर जेई को क्लीनचिट कैसे थमा दी गयी? जेई पर लगाए तमाम आरोप खारिज कर दिए गए। 33 केवी लाइन हटाने की शिकायत में कथित आरोपी जेई को क्लीनचिट दे दी गयी है । शिकायतकर्ता दौराला निवासी हेमंत का कहना है कि पावर यानि बिजली महकमा भी मनी पावर से कहां बचा हुआ है? शायद यही कारण है कि जांच में क्लीनचिट दे दी गयी है। उन्होंने सवाल किया कि ऐसी क्या बात थी जो पीवीवीएनएल एमडी या दूसरे संबंधित अधिकारी की अनुमति लिए बगैर ही पोल हटवा दिए गए। आमतौर पर होता तो यह है कि यदि किसी को पोल हटवाने हों तो कई कई महीने चक्कर काटने के बाद भी उसकी शिकायतों पर सुनवाई नहीं की जाती । भले ही पोल गिर जाए या कोई और हादसा उसकी वजह से हो जाए, लेकिन यहां ऐसा क्या था जो बगैर अनुमति लिए ही पोल हटवा दिए गए। कुछ तो गड़बड़ है।

दौराला निवासी शिकायतकर्ता हेमंत कुमार ने पीवीवीएनएल प्रशासन को की गई शिकायत में आरोप लगाया कि मैसर्स आनंद मंगल इन्फ्राराडव्लपर प्राइवेट लिमिटेड जीतपुर के परिसर से दो पोल जिन्हें निष्प्रयोजन बताया गया है, हटा दिए गए। शिकायकर्ता का आरोप है कि इस काम के लिए संबंधित अवर अभियंता ने तीन लाख रुपये बतौर सुविधा शुल्क लिए जाने के गंभीर आरोप भी लगाए हैं। इसके लिए अवर अभियंता को कठघरे में खड़े करते हुए यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन व पीवीवीएनएल एमडी को शिकायत भेजी गयी। बगैर अनुमति के दो खंबे हटाने की शिकायत पावर चैयरमेन व पीवीवीएनएल एमडी को की गयी थी इसलिए जांच तो होनी तय थी और जांच की भी गई।

जांच रकने वाले अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि अधीशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय मेरठ के कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों से स्पष्ट है कि निष्प्रयोजन 33- केवी लाइन को हटाने का कार्य पूर्ण जमा के अंतर्गत प्राकलन स्वीकृत कर संबंधित उपभोक्ता से धनराशि 15497/ रसीद संख्या 2020002, 20.5.022 के द्वारा जमा कराया गया । शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि संबंधित अधिकारी या कर्मचारी द्वारा उपभोक्ता से तीन लाख की मोटी रकम लेकर दो खंबे बगैर किसी अनुमति के लिए हटा दिए गए। इससे विभाग को भारी क्षति हुई है, के संबंध में संबंधित उपभोक्ता मैसर्स आनंदमंगल इन्फ्राराडव्लपर प्राइवेट लिमिटेड जीतपुर द्वारा लिखित बयान दिया गया है कि मैने किसी भी कर्मचारी को कोई पैसा नहीं दिया है।

जांच में कहा गया है कि पैसे के लेन-देन का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। ( शिकायत करने वाले के साथी पं. नरेश शर्मा का कहना है कि इस प्रकार के लेनदेन के कोई साक्ष्य आमतौर पर नहीं होते हैं, यह बात भी जांच करने वालों को याद रखनी चाहिए) मैसर्स आनंदमंगल इन्फ्राराडव्लपर प्राइवेट लिमिटेड जीतपुर के परिसर के दो पोल की 33- केबी लाइन को पूर्ण जमा योजना के अंतर्गत पूरा पैसा जमा कराने के बाद हटाया गया। जिसमें विभागीय अनुमति लेनी चाहिए थी, वह नहीं ली गयी । वर्तमान निगम द्वारा निष्प्रयोजन लाइन को हटाने के लिए कार्यालय प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम मेरठ द्वारा आदेश जारी किए गए हैं। उधर, मामले को चेयरमैन तक पहुंचने वाले पं. नरेश शर्मा का कहना है कि बगैर अनुमति के खंभे हटाने की जो बात प्रमुखता से प्रस्तुत की जानी चाहिए थी, वो उतनी प्रमुखता से अफसरों संज्ञान में शायद नहीं लायी गयी है।

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