उदय एंकर – जेई को रिश्वत नहीं दी तो लगाया जुर्माना, जांच बैठी, पीडी कर वसूली के लिए मामला भेज दिया तहसील में, चार हजार की मांगी थी रिश्वत अब 56 हजार की आरसी
अन्जर पाशा, मेरठ। ऊर्जा निगम में अगर आप अफसरों की रिश्वत की मांग को अनसुना कर देंगे तो आपके ऐसे हालात कर दिये जायेंगे कि आप न तो चैन से जी सकेंगे और न ही आपको यह भ्रष्टाचारी चैन से मरने ही देंगे। ऐसे ही एक मामले में जब एक गरीब ने अफसरों की रिश्वत की मांग को अनसुना कर दिया तो उसपर इतना तगडा जुर्माना लगा दिया कि वह इसे चुकाने में अगर अपने आपको बेच भी देगा, तब भी जुर्माने की रकम अदा नहीं कर सकेगा। हालांकि ऊर्जा निगम के अफसर खुद ही अपने बुने जाल में फंस गये हैं। लेकिन मजबूरी यह है कि यदि एक अधिकारी दूसरे अधिकारी के खिलाफ जांच आख्या देगा तो अगला नंबर उसका भी लग सकता है। लिहाजा वह भी इस गडबडी के प्रति आंख ही मूंद लेता है।
सबसे बडी लापरवाही तो यह है कि रिश्वत की मांग पूरी नहीं हो सकी तो ऊर्जा निगम के इन अफसरों ने इस मामले में पीडी करके वसूली के लिए यह मामला तहसील में भेज दिया है। यह मामला तोपखाना एमईएस बिजलीघर से जुड़ा सामने गया है। आरोप है कि जेई ने रिश्वत नहीं लने पर गलत रिपोर्ट बनाते हुए उपभोक्ता पर जुर्माना लगा दिया। जांच गलती मिलने के बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। तोपखाना में मोहम्मद इकबाल ने सरकारी जमीन पर झोपड़ी बना रखी है और खेल के दस्ताने की सिलाई करता है। बताया गया कि 18 अक्टूबर 2018 को इकबाल की इस झोपडी में ऊर्जा निगम के अधिकारियों की टीम पहुंची। इसमें शामिल अफसरों और लाइनमेन ने देखा कि एक आदमी मोटर लगाकर सिलाई मशीन पर दस्ताने सिल रहा है। टीम ने पहले तो इस गरीब को डराया- धमकाया। फिर कहा कि चलो चार हजार रुपये दे दो। हम तुमपर कुछ कार्रवाई नहीं करेंगे। इसपर इकबाल ने कहा कि सिलाई मशीन पर मोटर लगाकर चलाया कब से जुर्म बन गया। लेकिन उसे बिजली चोरी का भय दिखाकर पैसे तत्काल देने का फरमान सुना दिया गया।
रोज सौ से डेढ सौ रुपये के बीच कमाने वाले इकबाल ने इतनी बडी रकम का जुर्माना देने से इंकार कर दिया तो यह टीम यहां से चली गई। इसके बाद पहले जेई ने केबिल उतारकर रिपोर्ट में वहां दस्ताने की फैक्ट्री दर्शा दी। शिकायतों पर जांच हुई तो गलत पाया गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई । इस बीच मामला एक अधिकारी की टेबिल से होता हुआ दूसरे अधिकारी की टेबिल तक पहुंचता रहा। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा । या यह भी कह सकते हैं कि ऊर्जा निगम में अधिकारी गांधी जी के तीन बंदरों के समान हैं। यानि न तो अपने स्टाफ की गलती देखते हैं, न कुछ सुनते हैं और न ही कुछ बोलते हैं। पूरे छह साल तक हर छोटे-बडे अधिकारी के पास इकबाल ने हजारों बार चक्कर काटते। आश्वासन सभी ने दिये और नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा ।
अब ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने भी देख लिया कि उनकी मुराद पूरी होने से रही तो और एक अधिकारी ने अगर अपने ही विभाग के दूसरे अधिकारी के खिलाफ जांच रिपोर्ट दी तो अगला नंबर उसका ही लग सकता है। तो इन भ्रष्ट अधिकारियों ने चुप्पी साध लेना ही बेहतर समझा। लेकिन उन्होंने इस मामले में पीडी करके कुल 56 हजार रुपये की आरसी तहसील के मार्फत भेज दी है। अब तहसील वाले इस गरीब के पीछे 56 हजार रुपये की आरसी लेकर चक्कर काट रहे हैं।
एमडी की जांच में खुल चुकी हैं रिश्वत की परतें
गरीब इकबाल ने अपने साथ हुए जुल्म की शिकायत पीवीवीएनएल की एमडी ईशा दुहन से की। पहली बार तो एमडी ने बडी तल्लीनता से इकबाल की फरियाद सुनी तथा असेसमेंट कराने का संबंधित बिजली घर के अधिकारियों को आर्डर दिया। अधिशासी अभियंता से जवाब मांगा गया। रिपोर्ट में भी साबित हो गया कि जेई को रिश्वत नहीं गई दी तो गलत रिपोर्ट बनाकर जुर्माना लगा दिया और रिकवरी नोटिस भी जारी करा दिया गया। पूरे छहसाल से उपभोक्ता अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। अब यह और हो गया है कि एमडी ने भी इस मामले में चुप्पी साध ली है।
रिश्वत मांगने वाले लाइनमेन का हुआ देहांत
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यह मामला जिस नितिन नामक लाइनमेन की वजह से उत्पन्न हुआ था। वह लाइनमेन भी इस दुनिया से रुखस्त हो चुका है। गत वर्ष ही उसका देहांत हो चुका है। पीडित इकबाल ने बताया कि बिजली कर्मचारियों की मनमानी और उपभोक्ताओं के उत्पीड़न की लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। अधिकारियों शिकायत के बाद भी कोई नतीजा नहीं सकल नहीं रहा है।
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